भाषा – (Bhasha) की परिभाषा, अर्थ, अंग, भेद और प्रकार
भाषा की परिभाषा
भाषा वह सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार, भावनाएँ और अनुभव दूसरों तक पहुँचाता है। यह शब्दों, ध्वनियों और वाक्यों का ऐसा व्यवस्थित समूह है जो संवाद को संभव बनाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो —
भाषा वह साधन है जिससे किसी समाज के लोग अपने भीतर के भाव और सोच को एक-दूसरे के सामने व्यक्त करते हैं।

भाषा क्या है? "बोली – जबान – वाणी", यही रूप हैं उस शक्ति के जिससे हम सोचते हैं, समझते हैं और एक-दूसरे से संवाद करते हैं।
भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करता है। यह केवल संप्रेषण का उपकरण ही नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और समाज का भी वाहक है।
भाषा का अर्थ
भाषा शब्द संस्कृत की “भाष्” धातु से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है — बोलना या कहना। यानी भाषा वह माध्यम है जिससे विचारों और भावनाओं को मौखिक रूप से अभिव्यक्त किया जाता है।
प्रसिद्ध परिभाषा के अनुसार:
“भाषा यादृच्छिक वाचिक ध्वनि-संकेतों की वह पद्धति है, जिसके द्वारा मानव परम्परा विचारों का आदान-प्रदान करती है।”
इस परिभाषा में भाषा के चार प्रमुख पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है:
1. पद्धति (Systematic Method)
भाषा एक व्यवस्थित प्रणाली है, जिसमें कर्ता, क्रिया, कर्म आदि तत्व एक निश्चित क्रम में आते हैं। यह यादृच्छिक न होकर नियमबद्ध होती है।
2. संकेतात्मकता (Symbolism)
भाषा की ध्वनियाँ वस्तुओं या क्रियाओं के प्रतीक के रूप में काम करती हैं। शब्दों और उनके अर्थ के बीच संबंध मनुष्यों द्वारा स्वीकृत एक सांकेतिक समझ होती है।
3. वाचिकता (Orality)
भाषा मुख्यतः मुख से उच्चारित होती है। ध्वनियों को वागेन्द्रिय की सहायता से उत्पन्न किया जाता है, और इन्हीं वाचिक संकेतों से संवाद संभव होता है।
4. यादृच्छिकता (Arbitrariness)
किसी शब्द और उसके अर्थ का मूलतः कोई दार्शनिक या स्वाभाविक संबंध नहीं होता। जैसे एक ही वस्तु को हिंदी में “जल”, अंग्रेज़ी में “Water” और संस्कृत में “आपः” कहा जाता है। अर्थ स्थायी रहता है, लेकिन शब्द भाषा के अनुसार बदलते हैं।
भाषा: व्यक्ति से समाज तक
भाषा केवल व्यक्तिगत संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति की भी आधारशिला है। यह व्यक्ति और समुदाय के बीच संपर्क की कड़ी है, जिससे विचारों, ज्ञान, भावनाओं और परंपराओं का संचरण होता है।
भाषा की प्रतीकात्मक संरचना
भाषा की संप्रेषण प्रक्रिया में चार प्रमुख तत्व होते हैं:
प्रेषक (Sender) – जो बोलता है
प्राप्तकर्ता (Receiver) – जो सुनता/समझता है
संदेश (Message/Meaning) – जो कहा जा रहा है
माध्यम (Medium/Symbolic Carrier) – जो अर्थ का संवाहक बनता है
भाषा के प्रकार (भेद)
भाषा को उसके प्रयोग और अभिव्यक्ति के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। प्रमुख रूप से भाषा के निम्नलिखित रूप होते हैं:
1. मौखिक भाषा (Oral Language)
मौखिक भाषा वह होती है जिसे हम बोलकर और सुनकर व्यक्त करते हैं। इसमें विचारों का आदान-प्रदान ध्वनियों के माध्यम से होता है।
📌 उदाहरण: किसी से फ़ोन पर बात करना, कक्षा में शिक्षक द्वारा बोलकर पढ़ाना।
🔸 यह भाषा स्वाभाविक रूप से सीखी जाती है — जैसे बच्चे अपनी मातृभाषा बोलना सुनकर और दोहराकर सीख जाते हैं।
2. लिखित भाषा (Written Language)
लिखित भाषा वह है जिसमें विचारों को लिखकर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें ध्वनियों को लिपि में रूपांतरित किया जाता है।
📌 उदाहरण: समाचार पत्र, पत्र लेखन, कहानियाँ, लेख, किताबें।
🔸 इसे सीखने के लिए वर्णमाला, व्याकरण और लेखन कला का ज्ञान आवश्यक होता है।
3. सांकेतिक भाषा (Sign Language)
यह भाषा उन संकेतों का उपयोग करती है जो शारीरिक हाव-भाव, हाथों की मुद्राएँ, चेहरे के भाव आदि के माध्यम से भावों को व्यक्त करती है।
📌 उदाहरण: एक माँ और छोटे बच्चे के बीच के इशारे, मूक-बधिर व्यक्तियों के संवाद।
🔸 यह विशेष रूप से दिव्यांग (विशेष आवश्यकता वाले) व्यक्तियों के लिए उपयोगी होती है।
4. मानक भाषा (Standard Language)
मानक भाषा वह रूप है जो शुद्धता, व्याकरण, उच्चारण और प्रयोग की दृष्टि से अधिकतर शिक्षित लोगों द्वारा स्वीकार्य होता है।
📌 उदाहरण: हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत आदि के मानकीकृत रूप जो पुस्तकों, पत्रों और सरकारी कार्यों में प्रयोग होते हैं।
🔸 इसे टकसाली भाषा भी कहा जाता है।
5. सम्पर्क भाषा (Link Language)
जब अनेक भाषाओं के बीच संपर्क और संवाद की आवश्यकता होती है, तब एक विशिष्ट भाषा मध्यस्थ का कार्य करती है।
📌 उदाहरण:
🔹 भारत में हिंदी एक प्रमुख संपर्क भाषा बन चुकी है।
🔹 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेज़ी संपर्क भाषा का कार्य करती है।
6. नेत्रहीनों की भाषा – ब्रेल लिपि (Braille Script)
नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए विशेष लिपि “ब्रेल” का निर्माण लुई ब्रेल द्वारा किया गया। यह एक ऐसी स्पर्श आधारित लिपि है जिसे छूकर पढ़ा और लिखा जाता है।
📌 विशेषता: इसमें उभरे हुए बिंदुओं का उपयोग किया जाता है जो अलग-अलग अक्षरों और शब्दों को दर्शाते हैं।
भाषा के अंग
भाषा को समझने के लिए उसके पाँच मूलभूत अंगों को जानना आवश्यक है। ये अंग मिलकर भाषा की संरचना को पूर्ण करते हैं:
1️⃣ ध्वनि (Sound)
जब हम बोलते हैं, तो हमारे मुख से जो स्वतंत्र आवाज़ निकलती है, उसे ध्वनि कहा जाता है।
🔸 यह मौखिक भाषा का सबसे मूलभूत तत्व है।
🔸 उदाहरण: क, ख, ग जैसी आवाजें।
2️⃣ वर्ण (Letter/Syllable)
वर्ण वह मूल ध्वनि होती है जिसे और अधिक टुकड़ों में विभाजित नहीं किया जा सकता।
🔸 ये ध्वनियाँ भाषा की बुनियाद होती हैं।
🔸 उदाहरण: अ, क्, भ्, म्, त्।
3️⃣ शब्द (Word)
जब वर्ण एक विशेष क्रम में मिलते हैं और कोई अर्थ व्यक्त करते हैं, तो वह एक शब्द बनता है।
🔸 उदाहरण:
क् + अ + म् + अ + ल् = कमल
भ् + आ + ष् + आ = भाषा
4️⃣ वाक्य (Sentence)
जब सार्थक शब्दों का समूह किसी सोच या विचार को पूर्ण रूप से प्रकट करता है, तो वह वाक्य कहलाता है।
🔸 उदाहरण: कमल हिन्दी भाषा पढ़ रहा है।
यदि इसे उल्टा कर दें: हिन्दी है रहा कमल पढ़ भाषा, तो इसका कोई अर्थ नहीं निकलेगा।
5️⃣ लिपि (Script)
मौखिक भाषा को लिखने के लिए जिन प्रतीकों या चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि कहा जाता है।
🔸 उदाहरण:
हिन्दी की देवनागरी लिपि,
उर्दू की फारसी लिपि,
अंग्रेज़ी की रोमन लिपि।
📚 भाषा की प्रक्रिया
भाषा एक सम्प्रेषण (Communication) का माध्यम है, और इसके माध्यम से विचारों, भावनाओं और जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाता है। भाषा की प्रक्रिया पाँच मुख्य चरणों में पूर्ण होती है: (Bhasha Hindi Grammar By study Knight)
1️⃣ सुनना (Listening)
सुनना भाषा की सबसे पहली और जरूरी प्रक्रिया है।
किसी भी संदेश को समझने के लिए उसे ध्यान से सुनना आवश्यक है।
📌 उदाहरण:
यदि शिक्षक कहे – “कल उत्तर लिखकर लाना है” और छात्र ने सुना ही नहीं, तो वह कार्य अधूरा रह जाएगा।
🔹 प्रभावी भाषा के लिए सक्रिय सुनना आवश्यक है।
2️⃣ देखना (Seeing)
देखना भी सम्प्रेषण का महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेष रूप से जब जानकारी दृश्य रूप में दी जा रही हो।
📌 उदाहरण:
जब शिक्षक बोर्ड पर गणित के प्रश्न हल करता है, तो छात्र को उसे देखना और समझना होता है।
🔹 आजकल के यूट्यूब जैसे श्रव्य-दृश्य (Audio-Visual) माध्यम इसका श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
3️⃣ बोलना (Speaking)
बोलना वह क्रिया है जिसमें हम वाणी के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हैं।
यह प्रक्रिया व्याकरण और उच्चारण की समझ के साथ प्रभावशाली बनती है।
📌 विशेष तथ्य:
🔹 बच्चा पहले बोलना सीखता है, फिर पढ़ना और फिर लिखना।
🔹 सही बोलना सीखना जरूरी है, क्योंकि सही बोलना ही सही पढ़ने और लिखने की नींव है।
4️⃣ पढ़ना (Reading)
पढ़ना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें शब्दों और वाक्यों को पहचानकर उसका अर्थ ग्रहण किया जाता है।
📌 पढ़ने के लिए आवश्यक है:
🔹 भाषा के वर्ण, शब्द, वाक्य और व्याकरण का ज्ञान।
🔹 समझ और एकाग्रता।
5️⃣ लिखना (Writing)
लिखना भाषा की सबसे जटिल प्रक्रिया मानी जाती है।
यह विचारों को लिखित रूप में व्यक्त करने की कला है।
📌 लिखने के लिए जरूरी है:
🔹 व्याकरण का पूरा ज्ञान,
🔹 सही वाक्य रचना,
🔹 और स्पष्ट सोच।
🗣️ बोली, विभाषा और भाषा
भाषा, विभाषा (उपभाषा) और बोली – ये तीनों अभिव्यक्ति के माध्यम हैं, लेकिन इनका प्रयोग, क्षेत्र और विकास भिन्न होते हैं।
इनमें मूलभूत अंतर इनके प्रसार क्षेत्र, साहित्यिक योगदान, और व्यवहारिक प्रयोग पर आधारित होता है।
1️⃣ बोली (Dialect)
🔹 परिभाषा: बोली भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है, जो विशेष ग्राम या क्षेत्र में प्रचलित रहती है।
🔹 यह मुख्य रूप से बोलचाल में प्रयुक्त होती है और इसका कोई मानकीकृत रूप नहीं होता।
🔹 इसमें स्थानीय शब्दों और देशज उच्चारण की प्रमुखता होती है।
📌 विशेषताएँ:
सीमित क्षेत्र में प्रयुक्त होती है।
लिपिबद्ध साहित्य लगभग नहीं होता।
व्याकरण असंगठित या सीमित होता है।
उदाहरण: कन्नौजी, कुमाऊँनी, मेवाती।
2️⃣ विभाषा / उपभाषा (Sub-language)
🔹 परिभाषा: विभाषा बोली की तुलना में अधिक व्यापक होती है और एक प्रांत या उप-प्रांत में प्रचलित रहती है।
🔹 इसे उपभाषा भी कहा जाता है।
📌 विशेषताएँ:
एक विभाषा में कई बोलियाँ हो सकती हैं।
इसमें कुछ साहित्यिक रचनाएँ भी पाई जाती हैं।
व्याकरणिक ढाँचा आंशिक रूप से विकसित होता है।
उदाहरण: ब्रज, अवध।
3️⃣ भाषा (Language)
🔹 परिभाषा: भाषा बोली और विभाषा की विकसित अवस्था है, जिसे परिनिष्ठित या मानक भाषा कहा जाता है।
🔹 इसका क्षेत्र व्यापक होता है और यह राजकार्य, शिक्षा और साहित्य में प्रयुक्त होती है।
📌 विशेषताएँ:
सुव्यवस्थित व्याकरण और लिपि होती है।
साहित्य का भंडार प्रचुर मात्रा में होता है।
सामाजिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक रूप में मान्यता प्राप्त।
उदाहरण: हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत।
🏛️ राज्यभाषा, राजभाषा और राष्ट्रभाषा
भारत जैसे बहुभाषी देश में राज्यभाषा, राजभाषा, और राष्ट्रभाषा तीनों का विशेष महत्व है। हालांकि ये तीनों शब्द सुनने में समान लगते हैं, लेकिन इनका अर्थ, प्रयोग और क्षेत्र भिन्न होता है।
(Bhasha Hindi Grammar)
🏞️ राज्यभाषा (State Language)
राज्यभाषा उस भाषा को कहा जाता है, जिसे किसी राज्य की सरकार अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए अधिकृत करती है।
🔸 यह भाषा राज्य के अधिकांश लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है।
🔸 इसी भाषा में राज्य के दस्तावेज़, आदेश, अधिसूचनाएं तैयार की जाती हैं।
🔸 उदाहरण:
– हिमाचल प्रदेश में हिन्दी,
– तमिलनाडु में तमिल।
🏢 राजभाषा (Official Language)
राजभाषा वह भाषा है जिसे किसी देश की सरकार आधिकारिक कार्यों के लिए मान्यता देती है।
🔸 भारत के संविधान के अनुसार,
👉 हिन्दी (देवनागरी लिपि में) और
👉 अंग्रेज़ी
भारत सरकार की राजभाषाएँ हैं।
🔸 इसके अतिरिक्त संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं को विभिन्न राज्यों ने अपनी राजभाषा घोषित किया है।
🔸 प्रत्येक राज्य की विधानसभा बहुमत से एक या अधिक भाषाओं को राजभाषा घोषित कर सकती है।
🌍 राष्ट्रभाषा (National Language)
राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जो किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान, एकता और गौरव का प्रतीक होती है।
🔸 यह भाषा प्रायः सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा होती है।
🔸 कई देशों में एक ही भाषा राष्ट्रभाषा और राजभाषा दोनों हो सकती है।
📌 महात्मा गांधी ने कहा था:
“राष्ट्रभाषा राष्ट्र की आत्मा होती है।”
🔹 भारत में संविधान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है,
लेकिन इसकी व्यापकता, सांस्कृतिक भूमिका और प्रभाव को देखते हुए इसे राष्ट्रभाषा के रूप में सम्मान प्राप्त है।
📌 अन्य उदाहरण:
– अंग्रेज़ी: अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा की राष्ट्रभाषा
– फ्रेंच: फ्रांस की राष्ट्रभाषा
🏡 मातृभाषा क्या है? (Bhasha Hindi Grammar)
मातृभाषा वह भाषा होती है जिसे कोई व्यक्ति जन्म के बाद सबसे पहले सीखता है और जिसके माध्यम से वह अपने परिवार और समाज से संवाद करता है।
🔹 यह भाषा उसकी पहचान, संवेदना और सांस्कृतिक जुड़ाव की प्रतीक होती है।
🔹 मातृभाषा मनुष्य की प्राकृतिक सोचने और अभिव्यक्ति की भाषा होती है।
🎯 मातृभाषा की विशेषताएँ:
यह व्यक्ति की पहली भाषा होती है।
इसके माध्यम से बचपन में सामाजिक अनुभव लिए जाते हैं।
मातृभाषा का गहरा संबंध भावनात्मक विकास और संस्कृति से होता है।
अधिकांशतः यह किसी क्षेत्रीय बोली या उपभाषा के रूप में होती है।
🗣️ उदाहरण:
भारत में लोगों की मातृभाषाएँ अक्सर क्षेत्रीय बोलियाँ होती हैं, जैसे:
कन्नौजी
ब्रजभाषा
हरियाणवी
मालवी
बुंदेली
गढ़वाली आदि।
🌍 विश्व की भाषाएं – रोचक तथ्य और जानकारी
दुनिया भर में भाषाओं की विविधता, संस्कृति और इतिहास को दर्शाती है। आज विश्व में 6800+ भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से अधिकांश स्थानीय और सीमित समुदायों तक सिमटी हुई हैं।
📊 विश्व भाषाओं की संक्षिप्त झलक
🌐 विश्व में कुल भाषाएं: लगभग 6800+
🔹 इनमें से 40% भाषाएं ऐसी हैं जिन्हें केवल 1000 से कम लोग बोलते हैं।
🔸 केवल 23 भाषाएं हैं जो दुनिया की आधी आबादी द्वारा बोली जाती हैं।
🌟 प्रमुख तथ्यों पर एक नजर
तथ्य | विवरण |
---|---|
🇺🇸 अमेरिका | कोई आधिकारिक भाषा नहीं है। |
🇵🇬 पापुआ न्यू गिनी | विश्व में सबसे अधिक भाषाएं – 840+, जिनमें 40 ही अब प्रमुख हैं। |
🇮🇳 भारत | विश्व की 6800 भाषाओं में से 600+ भाषाएं भारत में बोली जाती हैं। |
🗿 प्राचीन भाषा | सुमेरियन भाषा सबसे पुरानी लिखित भाषा (3300 ई.पू.) |
📖 सबसे अनूदित पुस्तक | बाइबिल – 683 भाषाओं में पूर्ण अनुवाद, 3000+ में आंशिक। |
❤️ प्यार की भाषा | फ्रेंच को Love Language कहा जाता है। |
⚔️ युद्ध की भाषा | रूसी भाषा को कहा जाता है। |
🧠 सबसे कठिन भाषा | मंदारिन (चीनी) – 9000 प्रतीक चिन्ह, अखबार पढ़ने के लिए 3000 ज़रूरी। |
🔤 अधिकतम वर्णों वाली भाषा | कम्बोडियन – 73+ वर्ण। |
🔡 न्यूनतम वर्णों वाली भाषा | रोटोकास (पापुआन) – केवल 11 वर्ण। |
🖨️ प्रिंटिंग की पहली भाषा | जर्मन भाषा। |
🌐 इंटरनेट की अग्रणी भाषाएं | अंग्रेज़ी और फ्रेंच। |
🌍 भविष्य में खतरा | अंग्रेज़ी का विस्तार अन्य भाषाओं को समाप्त कर सकता है। |
🇳🇬 नाइजीरिया | 9 करोड़ लोग अंग्रेज़ी बोलते हैं, जो ब्रिटेन से भी ज्यादा है। |
🇺🇸 अमेरिका | अंग्रेजी की 24 से अधिक बोलियाँ प्रचलित हैं। |
भारत की भाषाएं
भारत एक बहुभाषी देश है जहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 (भाग 17) और 8वीं अनुसूची में भाषाओं से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।
✅ 8वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाएं:
हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, असमिया, कश्मीरी, डोगरी, कोंकणी, संथाली, मैथिली, बोडो, नेपाली, मणिपुरी और सिन्धी।
🔹 हिन्दी भारत की राजभाषा है।
🔹 अंग्रेज़ी केन्द्र की द्वितीय आधिकारिक भाषा के रूप में मान्य है।
🔹 राज्यों को अपनी राज्यभाषा चुनने का अधिकार है।
📚 भारतीय आर्य भाषाओं का इतिहास
भारतीय आर्य भाषाओं की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है। इस काल में आर्य जातियाँ भारत के उत्तर-पश्चिम में (पंजाब क्षेत्र) आईं और धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत व दक्षिण भारत तक फैलीं। वे अपने साथ संस्कृति, यज्ञ प्रणाली और विकसित भाषा लेकर आए थे।
हिन्दी सहित अधिकांश उत्तर भारतीय भाषाएं इसी आर्यभाषा परिवार से संबंधित हैं। लेकिन आर्य भाषाओं पर भारत की अनार्य (स्थानीय) भाषाओं का भी प्रभाव पड़ा, जिससे भाषाओं में विविधता आई।
🕰 आर्य भाषाओं का विकास – कालानुसार
प्राचीन आर्यभाषा काल (2000 ई.पू. – 500 ई.पू.):
वैदिक संस्कृत (2000 – 800 ई.पू.)
लौकिक संस्कृत (800 – 500 ई.पू.)
मध्यकालीन आर्यभाषा काल (500 ई.पू. – 1000 ई.):
पाली भाषा (500 ई.पू. – 1 ई.)
प्राकृत भाषाएँ (1 ई. – 500 ई.)
अपभ्रंश भाषाएँ (500 – 1000 ई.)
आधुनिक आर्यभाषा काल (1000 ई. – वर्तमान):
इस काल में हिन्दी, उर्दू, गुजराती, मराठी, बंगाली आदि भाषाएँ विकसित हुईं।
🔍 विशेष तथ्य
मोहनजोदड़ो व हड़प्पा सभ्यता आर्यों के आगमन से पहले की उच्च विकसित संस्कृति को दर्शाती है।
आर्य भाषाओं ने भारत में संस्कृति और साहित्य को नई दिशा दी, लेकिन ये भी स्थानीय बोलियों से प्रभावित हुईं।
वैदिक संस्कृत और बाद की संस्कृत में भी अनार्य शब्दों और शैली का समावेश मिलता है।
🕉️ भारतीय आर्य भाषाओं का विकास
भारत की आर्य भाषाएं अपने इतिहास और विकासक्रम में तीन प्रमुख कालों में विभाजित की जाती हैं: प्राचीन, मध्यकालीन, और आधुनिक। यहां हम प्राचीन और मध्यकालीन चरणों का संक्षिप्त और स्पष्ट विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं:
🔹 1. प्राचीन भारतीय आर्य भाषा
👉 वैदिक संस्कृत (2000 ई.पू. – 800 ई.पू.)
यह भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात भाषा है, जिसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद सहित वैदिक साहित्य की रचना हुई। इसे वैदिकी या छांदस भाषा भी कहते हैं।
वैदिक साहित्य को तीन वर्गों में बांटा गया है: संहिता, ब्राह्मण, और उपनिषद।
डॉ. धीरेन्द्र वर्मा आदि के अनुसार वैदिक संस्कृत में 13 स्वर और 39 व्यंजन (कुल 52 ध्वनियाँ) होती थीं।
👉 लौकिक संस्कृत (800 ई.पू. – 500 ई.पू.)
पाणिनि की अष्टाध्यायी के अनुसार व्यवस्थित रूप में विकसित संस्कृत को लौकिक संस्कृत कहते हैं। यह व्याकरण-सम्मत, साहित्यिक एवं शिक्षित वर्ग की भाषा रही है।
लौकिक संस्कृत में 48 ध्वनियाँ थीं, क्योंकि वैदिक संस्कृत की कुछ ध्वनियाँ जैसे ळ, ळह, जिह्वमूलीय और उपध्मानीय लुप्त हो गईं।
🔸 2. मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा
इस चरण को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
✅ पालि (500 ई.पू. – 1 ई.)
पालि का अर्थ है: बुद्ध वचन की भाषा।
त्रिपिटक ग्रंथ (सुत्त पिटक, विनय पिटक, अभिधम्म पिटक) इसी भाषा में रचे गए।
सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र द्वारा पालि को श्रीलंका में प्रचारित किया गया।
पालि को भारत की पहली देशभाषा माना जाता है।
✅ प्राकृत (1 ई. – 500 ई.)
“प्राकृत” का अर्थ है: प्राकृतिक या मूल जनभाषा।
यह संस्कृत की अपेक्षा सरल, सहज और बोलचाल की भाषा रही है।
जैन और बौद्ध साहित्य में इसका व्यापक प्रयोग हुआ।
वाक्पतिराज के अनुसार: “जिस प्रकार सारे जल सागर से निकलते और उसमें मिलते हैं, वैसे ही भाषाएं प्राकृत से उत्पन्न और उसमें विलीन होती हैं।”
✅ अपभ्रंश (500 ई. – 1000 ई.)
“अपभ्रंश” का अर्थ है: विकृत या बदली हुई भाषा।
यह आधुनिक भाषाओं जैसे हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगाली आदि की जननी मानी जाती है।
इसे मध्य और आधुनिक आर्य भाषाओं के बीच की कड़ी कहा गया है।
अनेक कवियों और लेखकों ने अपभ्रंश में साहित्य रचा।
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ (1000 ई. से अब तक)
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश से हुआ है। इसका समयकाल 1000 ई. से वर्तमान तक माना जाता है। यह कालखंड भारत के स्वतंत्रता से पहले के स्वरूप को शामिल करता है, जिसमें आज के पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के क्षेत्र भी शामिल माने जाते हैं।
🔹 डॉ. ए. एफ. आर. हार्नले का वर्गीकरण (1880)
हार्नले ने आधुनिक आर्य भाषाओं को चार प्रमुख वर्गों में बाँटा:
पूर्वी गौडियन – पूर्वी हिन्दी, बंगाली, असमी, उड़िया
पश्चिमी गौडियन – पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी, गुजराती, सिन्धी, पंजाबी
उत्तरी गौडियन – गढ़वाली, नेपाली, पहाड़ी
दक्षिणी गौडियन – मराठी
उन्होंने यह भी कहा कि:
भीतरी आर्य = मध्य भारत के निवासी
बाहरी आर्य = चारों दिशाओं में फैले हुए समुदाय
🔸 डॉ. जॉर्ज ग्रियर्सन का वर्गीकरण (1920)
ग्रियर्सन ने लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में भाषाओं को तीन उपशाखाओं में बाँटा:
🔹 1. बाहरी उपशाखा
उत्तर-पश्चिमी भाषाएं: लहँदा, सिन्धी
दक्षिणी भाषाएं: मराठी
पूर्वी भाषाएं: उड़िया, बिहारी, बंगाली, असमिया
🔹 2. मध्य उपशाखा
पूर्वी हिन्दी
🔹 3. भीतरी उपशाखा
केन्द्रीय भाषाएं: पश्चिमी हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी आदि
पहाड़ी भाषाएं: पूर्वी पहाड़ी (नेपाली), मध्य पहाड़ी, पश्चिमी पहाड़ी
🔸 डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी का वैज्ञानिक वर्गीकरण
उन्होंने ग्रियर्सन की ध्वनि और व्याकरण पर आधारित आलोचना करते हुए वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रस्तुत किया:
उदीच्य – सिन्धी, लहँदा, पंजाबी
प्रतीच्य – राजस्थानी, गुजराती
मध्य देशीय – पश्चिमी हिन्दी
प्राच्य – पूर्वी हिन्दी, बिहारी, उड़िया, असमिया, बंगाली
दक्षिणात्य – मराठी
🗣️ प्रमुख आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की विशेषताएँ
🔹 सिन्धी भाषा
‘सिन्धी’ शब्द संस्कृत के “सिन्धु” से बना है।
यह सिन्धु नदी के दोनों किनारों पर बोली जाती है।
प्रमुख बोलियाँ: विचोली, सिराइकी, थरेली, लासी, लाड़ी।
लिपियाँ: लंडा (मुख्य), गुरुमुखी और फारसी लिपि में भी लिखी जाती है।
🔹 लहँदा भाषा
‘लहँदा’ का अर्थ होता है ‘पश्चिमी’।
इसके अन्य नाम: पश्चिमी पंजाबी, हिन्दकी, जटकी, मुल्तानी, चिभाली, पोठवारी।
लिपि: लंडा, जो शारदा लिपि की उपशाखा है।
🔹 पंजाबी भाषा
‘पंजाबी’ शब्द ‘पंजाब’ (पाँच नदियों का देश) से बना है।
प्रमुख बोलियाँ: माझी, डोगरी, दोआबी, राठी।
लिपि: प्रारंभिक लिपि ‘लंडा’ थी। गुरु अंगद ने इसे सुधारकर ‘गुरुमुखी’ लिपि बनाई।
🔹 गुजराती भाषा
‘गुजरात’ शब्द ‘गुर्जर’ जाति से बना है।
लिपि: गुजराती (कैथी लिपि से मिलती-जुलती), इसमें शिरोरेखा नहीं होती।
🔹 मराठी भाषा
मराठी, महाराष्ट्र की प्रमुख भाषा है।
बोलियाँ: कोंकणी, नागपुरी, कोष्टी, माहारी।
लिपि: देवनागरी (कुछ स्थानों पर मोडी लिपि का भी प्रयोग होता है)।
🔹 बंगला भाषा
‘बंगला’ शब्द ‘बंग’ से बना है।
यह बंगाल की भाषा है और उस पर यूरोपीय विचारधारा का प्रभाव सर्वप्रथम पड़ा।
लिपि: प्राचीन देवनागरी से विकसित बंगला लिपि।
🔹 असमी (असमिया) भाषा
असम की प्रमुख भाषा है।
प्रमुख बोली: विश्नुपुरिया।
लिपि: बंगला लिपि का उपयोग।
🔹 उड़िया भाषा
यह ओड़िशा (पूर्व में उत्कल) की भाषा है।
प्रमुख बोलियाँ: गंजामी, सम्भलपुरी, भत्री।
लिपि: ब्राह्मी की उत्तरी शैली से विकसित।
✍️ भाषा और लिपि
लिपि किसी भाषा को स्थायी रूप देने के लिए बनाई गई लिखित प्रणाली है।
भाषा मौखिक होती है, जिसे लिपि द्वारा लिखित रूप में व्यक्त किया जाता है।
हर ध्वनि के लिए एक चिह्न या वर्ण निर्धारित होता है।
जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ, दूरस्थ संचार के लिए लिपियों की आवश्यकता महसूस की गई।
लिपि ही वह माध्यम बनी जिससे विचारों का स्थायित्व और दस्तावेजीकरण संभव हुआ।
📌 FAQs – आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ, लिपि और भाषा
❓ Q1. भारत में कितनी आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं हैं?
उत्तर: भारत में लगभग 13 प्रमुख आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ मानी जाती हैं, जिनमें हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, बंगला, असमी, उड़िया, सिन्धी, नेपाली, कश्मीरी, डोगरी, संस्कृत, और कोंकणी शामिल हैं। ये भाषाएँ मुख्य रूप से उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्व भारत में बोली जाती हैं।
❓ Q2. आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास किससे हुआ है?
उत्तर: आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का विकास अपभ्रंश भाषाओं से हुआ है। अपभ्रंश का उद्गम प्राकृत से और प्राकृत का विकास संस्कृत से हुआ था। यह एक ऐतिहासिक भाषाई विकास श्रृंखला है।
❓ Q3. हिन्दी किस भाषा परिवार की भाषा है?
उत्तर: हिन्दी भारोपीय भाषा परिवार की भारतीय-आर्य शाखा की भाषा है। यह आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
❓ Q4. हिन्दी और संस्कृत में क्या अंतर है?
उत्तर: संस्कृत एक प्राचीन भारतीय भाषा है जो मुख्यतः धार्मिक और शास्त्रीय ग्रंथों में प्रयुक्त होती थी। वहीं हिन्दी आधुनिक भाषा है जो संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश से विकसित हुई है और आज के युग में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
❓ Q5. लिपि क्या है और यह भाषा से कैसे भिन्न है?
उत्तर: लिपि भाषा को लिखित रूप देने की प्रणाली है। यह ध्वनियों को दृश्य चिन्हों के रूप में दर्शाती है। भाषा मौखिक होती है जबकि लिपि उसका लिखित रूप है। जैसे हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।
❓ Q6. भारत में सबसे पुरानी लिपि कौन सी है?
उत्तर: भारत की सबसे पुरानी लिपि ब्राह्मी लिपि मानी जाती है। इसका प्रयोग मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेखों में हुआ था।
❓ Q7. आधुनिक आर्य भाषाओं में कौन-सी भाषा सबसे ज्यादा बोली जाती है?
उत्तर: हिन्दी सबसे अधिक बोली जाने वाली आधुनिक आर्य भाषा है। यह भारत की राजभाषा है और करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है।
❓ Q8. क्या पंजाबी की अपनी अलग लिपि है?
उत्तर: हाँ, पंजाबी की अपनी लिपि गुरुमुखी है, जिसे गुरु अंगद देव जी ने लंडा लिपि से सुधार कर बनाया था।
❓ Q9. सिन्धी भाषा किस लिपि में लिखी जाती है?
उत्तर: सिन्धी भाषा फारसी-अरबी लिपि में लिखी जाती है। कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग देवनागरी और लंडा लिपि में भी होता है।
❓ Q10. कौन-सी भाषा भारत की राष्ट्रभाषा है?
उत्तर: भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हालांकि, हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया है और इसका उपयोग सरकारी कार्यों में होता है।